
एक तरफ जहां आतंकवाद का निशाना बने लोग उपराज्यपाल मनोज सिन्हा द्वारा उनके लिए पुनर्वास के लिए उठाए गए कदम से उत्साहित हैं। वहीं, घाटी के बुद्धजीवी भी इस कदम की खूब सराहना कर रहे हैं। उनके अनुसार नए कश्मीर की इमारत में यह कदम मील का पत्थर साबित होने के साथ इसे और अधिक मजबूत करने का काम करेगा।
प्रशासन के इस कदम की सराहना करते हुए वरिष्ठ समाजी कार्यकर्ता डा शेख गुलाम रसूल ने कहा,यह एक अच्छा और सराहनीय कदम है, बल्कि मैं तो यह कहूंगा कि यही असल में एक हीलिंंग टच है, जो तीन दशकों से आतंकवाद का दर्द झेल रहे लोगों के जख्मों को भरेगा। रसूल ने कहा, इससे आतंकवाद पीड़ित लोग न केवल सम्मान के साथ बाकी की जिंदगी गुजार सकेंगे, बल्कि वह एक नए मनोबल व हौसले के साथ अन्य लोगों की तरह जिंदगी में आगे बढ़ेंगें। रसूल ने कहा, यह बहुत पहले होना चाहिए था। देर आयत दुरुस्त आयत ,एलजी प्रशासन ने देर से ही सही, लेकिन यह प्रक्रिया शुरू की, जोकि बहुत ही सराहनीय है। रसूल ने कहा,मेरा सुझाव है कि इस पॉलिसी को और लचीला बनाया जाए।
इसमें ऐसे लोगों को भी शामिल कर उनका पुनर्वास किया जाए, जो क्रॉस बॉर्डर शेलिंग या आतंकियों व सुरक्षाबलों के बीच हुई गोलीबरी में या तो अपनी जान गंवा चुके हैं या फिर शरीरिक तौर पर दिव्यांग हो चुके हैं। गुलाम रसूल ने कहा,यदि एलजी प्रशासन उन लोगों को भी इस पॉलिसी में शामिल करें तो उसमें ऐसे लोगों की निशानदेही करने में प्रशासन की भरपूर मदद करेंगे।
एलजी के इस कदम का स्वागत करते हुए समाजसेवी उवैस अहमद ने कहा,वेलकम स्टेप। कम से कम कोई तो सामने आया, जो ऐसे लोगों के आंसू पोछेगा । उवैस ने कहा बीते 32-34 वर्षों से आतंकवाद से पीड़ित हमारे यहां के हजारों ऐसे लोग भय व डर के चलते चुपचाप घुटते और दर्द सहते रहे। किसी ने भी उनकी सुध नहीं ली। अगर उनके पास लोग गए भी तो केवल अपनी सियासी दुकानें चलाने के लिए।
हमदर्दी के दो बोल बोलकर बीती सरकारों ने समझा कि ऐसे लोगों के प्रति उनकी जिम्मेदारी यहीं तक थी और यह पीड़ित लोग यूं ही खामोशी से दर्द सहते रहे और अपने जख्मों को सहलाते रहे। लेकिन अब उनकी सुध लेने के लिए एलजी ने जो कदम उठाया है, उसकी जितनी भी सराहना की जाए, वह कम है।
उवैस ने कहा, सरकार के पास उपलब्ध ऐसे लोगों के आंकड़े से कहीं ज्यादा की संख्या में ऐसे लोग हैं, जिनको आतंकियों ने अपना शिकार बनाया। लेकिन वह अब भी मारे डर के गुमनामी में ही जी रहे हैं और सामने नहीं आ रहे। मेरी एलजी प्रशासन से गुजरिश है कि ऐसे लोगों को ढूंढ निकाल उनका पुनर्वास किया जाए।
मंसूर मागरे, अध्यक्ष सिविल सोसाइटी शोपियां ने एलजी के इस कदम की सराहना करते हुए कहा,नए कश्मीर में बस यही एक कमी थी और आज इस कमी को भी पूरा किया गया। मागरे ने कहा,केंद्र सरकार ने नए कश्मीर की नींव रख इसकी इमारत खड़ी कर दी थी, लेकिन मैं समझता हूं कि एलजी द्वारा आतंकवाद पीड़ितों के पुनर्वास के लिए उठाया गया यह कदम इस इमारत में मील का पत्थर साबित होगा।
मागरे ने कहा मुझे, सब से ज्यादा खुशी इस बात की है कि एलजी ने 29 जूून को इस पॉलिसी को सार्वजनिक करते हुए वादा किया था कि वह एक महीने के भीतर ही पीड़ितों को इस पुनर्वास नीति के दायरे में लाएंगे। लेकिन हैरान कर देेने वाली बात यह है कि अभी 15 दिनों के भीतर उन्होंने आधे से अधिक पीड़ितों को सामने ला उनके पुनर्वास का बंदोबस्त कर दिया। यह न केवल सराहनीय है, बल्कि इससे पता चलता है कि केंद्र व एलजी प्रशासन घाटी के विकास व खुशहाली के प्रति कितना गंभीर है।
सनद रहे कि उक्त पालिसी के तहत उपराज्यपाल मनोज सिंहा ने रविवार 13 जुलाई को उत्तरी कश्मीर के बारामूला में आतंकवादियों का शिकार बने व्यक्तियों के परिजनों को सरकारी नौकरियां पेश की तथा उनमें अनुग्रह राषि भी आवंटित की।